Year Ender 2022: कारोबारियों की सहूलियत के लिए GST में हुए ये बदलाव, बिजनेस करना हुआ आसान
YearEnder 2022: साल 2022 के दौरान सरकार ने Ease of Doing Business) के लिए कई कई कदम उठाए हैं. जीएसटी (GST) जमा करने के अन्य विकल्प साधन के तौर पर यूपीआई (UPI) और आईएमपीएस (IMPS) सुविधा की गई.
YearEnder 2022: साल 2022 के दौरान गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में व्यापार सुविधा की पहल की गई. सरकार ने कारोबार की सुगमता (Ease of Doing Business) के लिए कई कई कदम उठाए हैं. जीएसटी (GST) जमा करने के अन्य विकल्प के तौर पर यूपीआई (UPI) और आईएमपीएस (IMPS) सुविधा दी गई. वहीं एक्सपोर्टर्स को भी बड़ी राहत मिली है. आइए जानते हैं ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए साल 2022 में क्या-क्या कदम उठाए गए है?
निर्यातकों को सुविधा
ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप की छूट वाली आपूर्ति के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट में तब्दीली की कोई जरूरत नहीं. सीजीएसटी नियमावली के नियम 42 और 43 के तहत ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप की आपूर्ति की कीमत को छूट प्राप्त आपूर्ति के कुल मूल्य में शामिल नहीं किया जाएगा और इसलिए ऐसी छूट वाली आपूर्तियों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट में तब्दीली की कोई जरूरत नहीं है.
ये भी पढ़ें- Investment Tips: उम्र और जरूरत के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर करें फोकस, नए साल में अपनाएं ये स्ट्रैटेजी
रिटर्न दाखिल न करने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान
TRENDING NOW
जिन मामलों में पोर्टल पर 6 महीने या उससे ज्यादा समय तक रिटर्न दाखिल न करने के कारण सिस्टम द्वारा रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया गया है, उसमें अपने आप उस रजिस्ट्रेशन कैंसिलेशन को रद्द करने का प्रावधान किया गया है.
10 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर के लिए ई-चालान अनिवार्य
ईज-ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए एक और कदम उठाया गया है. अनिवार्य रूप से ई-इनवॉइस जारी करने की सीमा को घटाकर 10 करोड़ रुपये किया गया. करदाताओं के लिए B2B गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई या दोनों या निर्यात के लिए (1 अक्टूबर 2022 से) ई-इनवॉइस निकालना अनिवार्य होगा, जिनका पिछले वित्त वर्ष में कुल सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से अधिक है.
ये भी पढ़ें- सरकारी टीचर की नौकरी छोड़ बना किसान, अब ₹5.50 लाख कमा रहा मुनाफा
फंड रिफंड कैलकुलेशन फॉर्मूले में बदलाव
CGST नियमावली के नियम 89 (5) के तहत फंड रिफंड कैलकुलेशन के फॉर्मूला को संशोधित किया गया, ताकि इनवर्टेड रेट सप्लाई पर आउटपुट टैक्स के भुगतान के लिए इनपुट्स और इनपुट सर्विसेज के कारण आईटीसी के उपयोग को ध्यान में रखा जा सके. यह उसी रेश्यो में हो जिसमें टैक्स पीरियड के दौरान इनपुट्स और इनपुट सर्विसेज पर आईटीसी का लाभ उठाया गया है, जिसके लिए फंड रिफंड का दाव किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें- इस बैंक ने ग्राहकों को दी बड़ी सौगात, अब FD से होगी ताबड़तोड़ कमाई
इंटरेस्ट कैलकुलेश का आसान तरीका
गलत तरीके से आईटीसी का फायदा लेने और उसके इस्तेमाल पर ब्याज का कैलकुलेशन का तरीका आसान किया गया है. इस तरह के गलत तरीक से आईटीसी के इस्तेमाल की तारीख से लेकर क्रेडिट या टैक्स के भुगतान की तारीख तक की जाएगी. ऐसे आईटीसी के इस्तेमाल की तारीख निर्धारित करने के लिए कार्यप्रणाली भी बनाई गई है.
ये भी पढ़ें- अपने मोबाइल में सेव कर लें चार डिजिट का ये खास नंबर, ऑनलाइन फ्रॉड से बचने में मिलेगी मदद
सरकार के कुछ कंसेशनल नोटिफिकेशन के मुताबिक, टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए जिनका बिजनेस नेचर इन्वर्टेड स्ट्रक्चर की है, उन मामलों में इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर पर एकम्यूलेटेड आईटीसी के रिफंड की मंजूरी है.
GST जमा करना हुआ आसान
GST जमा करने के अन्य विकल्प के तौर पर UPI और IPMS की सुविधा शुरू की गई. वहीं सीजीएसटी अधिनियम 2017 के तहत गिरफ्तारी के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए गए है. ये दिशानिर्देश केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 और वित्त अधिनियम 1994 के चैप्टर V के तहत मामलों पर भी लागू होंगे.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
11:10 PM IST